Friday, March 4, 2011

गुजारिश..

है इख़्तियार में तेरे तू मौज्ज़ा कर दे...
वोह शख्स मेरा नहीं है उसे मेरा कर दे...
यह राह-गुज़र कहीं ख़तम ही नहीं होती ,
ज़रासी दूर तक रास्ता हरा भरा कर दे...
मै उस के शोर को देखू वोह मेरा सबर देखे... ,
मुझे चिराग़ बना दे उसे हवा कर दे....
अकेली शाम बहुत ही उदास करती है ,
किसी को भेज कोई मेरा हम-नवा कर दे...

1 comment:

  1. its a beautuful gazal sing by Chitra singh!! according to my understanding, these are its correct wordings.
    है इख्तियार में तेरे, तो ये मोजज़ा कर दे,
    वो शक्स मेरा नहीं है, उसे मेरा कर दे,
    ये रेगज़ार कहीं ख़त्म ही नहीं होता,
    ज़रा सी दूर तो रास्ता, हरा भरा कर दे,
    मैं उसके जोर को देखूं, वो मेरा सब्र-ओ-सुकून,
    मुझे चराग बना दे, उसे हवा कर दे..

    ( mentioned so that it can be enjoyed more, no offense intended )

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